Raghukul ya Raghu vansh ya Ichvaku wansh ke baare me hindi me – aayiye jante hain Raghukul ke baare me vistar se hindi me . रघु वंश – इक्ष्वाकु वंश-Ramayan short and best Stories hindi me

इक्ष्वाकु वंश प्राचीन भारत के शासकों का वंश था। इक्ष्वाकु वंश के गुरु वसिष्ठजी ने श्री राम की वंशावली का वर्णन किया, जो इस प्रकार हैः-
आदि रूप ब्रह्मा जी से मरीचि का जन्म हुआ।
मरीचि के पुत्र कश्यप हुये। कश्यप के विवस्वान और विवस्वान के वैवस्वत मनु हुये। वैवस्वतमनु के पुत्र इक्ष्वाकु हुये। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की। इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुये। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुये। अनरण्य से पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ।
त्रिशंकु के पुत्र धुन्धुमार हुये। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुये और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुये- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित।
ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुये।
भरत के पुत्र असित हुये और असित के पुत्र सगर हुये। सगर के पुत्र का नाम असमञ्ज था। असमञ्ज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुये।
दिलीप के पुत्र भगीरथ हुये, इन्हीं भगीरथ ने अपने तपोबल से गंगा को पृथ्वी पर अवतरित किया था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुये।
रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघु-वंश हो गया। रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुये जो एक शाप के कारण राक्षस हो गये थे, इनका दूसरा नाम कल्माषपाद था। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुये। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुये।
मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुये।
अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुये। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुये और दशरथ के ये चार पुत्र रामचन्द्र, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं।