क्या आपकी पत्नी ने आपको परेशान किया हुआ है ? – ये किस्सा नहीं बल्कि एक सच्चाई है जो की घर घर की कहानी है – ये बात अलग है की आज ये कहानी के रूप में शेयर किया जा रहा है। और आपको एक नया सीख मिलता है।
*लॉकडाउन और नारी की भूमिका*
दूध लाना था !
मैंने कहा ATM से
पैसे निकाल कर
लाता हूँ।
इतना सुनते ही
एक आवाज आई!
*रुक जाओ।*
500 का नोट देते हुए बोली….
ये मेरे हैं, बस इतने ही हैं
इसे ले जाओ।
पर ATM मत जाओ बहुतों ने उसकी बटन दबाई होगी
तुम बचो….
दूसरे दिन फिर कुछ जरूरत आन पड़ी
फिर 2000 का नोट देते हुए बोली….
ये मेरे हैं बस इतने ही हैं
ATM मत जाना….
लॉक डाउन के शुरुआत से
यह क्रम रोज चल रहा
रोज नई पोटली खुल रही
ATM जाने से रोक रही है
सामान बाहर ही धरवा रही
बाहर ही नहलवा रही है
जाने कौन से खजाने से पैसे निकाले जा रही है
पैसे मेरे हैं, इतने ही हैं कहकर
मुझे देते जा रही है
*भारत की बेटी*
*भारत के संस्कार*
*आज समझ आया*
*घर खर्च में से पैसे को बचा कर जिस तिजोरी में धरती रही*
*वो तिजोरी*
*आज काम आ रही है..*
जो हर घर में लापरवाहों को
भीड़ में जाने से बचा रही है।
इस भूमिका को पूरे देश में
*माँ/पत्नी/भाभी/बहन*
*बखूबी निभा रही हैं..*
कोई बालकनी में खड़ा है!
कोई TV वाले कमरे में पड़ा है!
कोई अपने मोबाइल में व्यस्त है!
थोड़ी थोड़ी देर में हर कोई अपनी जगह बदल रहा है!!
लेकिन एक शक्स है जिसकी, जगह नहीं बदलती है!
*वो रसोई से बार बार आवाज दे रही है क्या बनाना है?*
*क्या खाओगे? मीठा या तीखा?*
लॉक डाउन इनकी वजह से ही सफल हो रहा है.
Hum Sabhi bhartiyon ko hamare nariyon ka samman karna chahiye . Ye kahani na sirf hame ek nayi prerna deti hai balki ek nayi soch aur ek nayi ummid bhi bhadhati hai .