Chanakya Quotes In Hindi-Best SMS Msg and Morals- आचर्य चाणक्य की चाणक्य नीति हिंदी में,

Quote 1: गुरु, देवता और ब्राह्मण में भक्ति ही भूषण है।
Quote 2: विनय सबका आभूषण है।
Quote 3: जो कुलीन न होकर भी विनीत है, वह श्रेष्ठ कुलीनों से भी बढ़कर है।
Quote 4: याचकों का अपमान अथवा उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
Quote 5: मधुर व प्रिय वचन होने पर भी अहितकर वचन नहीं बोलने चाहिए।
Quote 6: बहुमत का विरोध करने वाले एक व्यक्ति का अनुगमन नहीं करना चाहिए।
Quote 7: दुर्जन व्यक्ति के साथ अपने भाग्य को नहीं जोड़ना चाहिए।
Quote 8: स्तुति करने से देवता भी प्रसन्न हो जाते है।
Quote 9: झूठे अथवा दुर्वचन लम्बे समय तक स्मरण रहते है।
Quote 10: जिन वचनो से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो, ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिए।
Quote 11: कोयल की कुक सबको अच्छी है।
Quote 12: प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता।
Quote 13: जो मांगता है, उसका कोई गौरव नहीं होता।
Quote 14: आधी रात तक जागते नहीं रहना चाहिए।
Quote 15: बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें।
Quote 16: पराए धन को छीनना अपराध है।
Quote 17: किसी कार्यारंभ के समय को विद्वान और अनुभवी लोगों से पूछना चाहिए।
Quote 18: अकारण किसी के घर में प्रवेश न करें।
Quote 19: स्त्री का नाम सभी अशुभ क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है।
Quote 20: अशुभ कार्य न चाहने वाले स्त्रियों में आसक्त नहीं होते।
Quote 21: तीन वेदों ऋग, यजु व साम को जानने वाला ही यज्ञ के फल को जानता है।
Quote 22: स्वर्ग की प्राप्ति शाश्वत अर्थात सनातन नहीं होती।
Quote 23: जब तक पुण्य फलों का अंश शेष रहता है, तभी तक स्वर्ग का सुख भोग जा सकता है।
Quote 24: स्वर्ग-पतन से बड़ा कोई दुःख नहीं है।
Quote 25: समुद्र के पानी से प्यास नहीं बुझती।
Quote 26: जिस प्रकार बालू अपने रूखे स्वभाव नहीं छोड़ सकता, उसी प्रकार दुष्ट भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ पाता।
Quote 27: सज्जन दुर्जनों में विचरण नही करते।
Quote 28: हंस पक्षी श्मशान में नहीं रहता। अर्थात ज्ञानी व्यक्ति मुर्ख और दुष्ट व्यक्तियों के पास बैठना पसंद नहीं करते।
Quote 29: समस्त संसार धन के पीछे लगा है।
Quote 30: यह संसार आशा के सहारे बंधा है।
Quote 31: केवल आशा के सहारे ही लक्ष्मी प्राप्त नहीं होती।
Quote 32: जहां सुख से रहा जा सके, वही स्थान श्रेष्ठ है।
Quote 33: विश्वासघाती की कहीं भी मुक्ति नहीं होती।
Quote 34: नीच व्यक्ति ह्र्दयगत बात को छिपाकर कुछ और ही बात कहता है।
Quote 35: बुद्धिहीन व्यक्ति पिशाच अर्थात दुष्ट के सिवाय कुछ नहीं है।
Quote 36: असहाय पथिक बनकर मार्ग में न जाएं।
Quote 37: पुत्र की प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।
Quote 38: सेवकों को अपने स्वामी का गुणगान करना चाहिए।
Quote 39: धार्मिक अनुष्ठानों में स्वामी को ही श्रेय देना चाहिए।
Quote 40: राजा की आज्ञा का कभी उल्लंघन न करे।
Quote 41: अपनी सेवा से स्वामी की कृपा पाना सेवकों का धर्म है।
Quote 42: जैसी आज्ञा हो वैसा ही करें।
Quote 43: विशेष कार्य को (बिना आज्ञा भी) करें।
Quote 44: विनय से युक्त विद्या सभी आभूषणों की आभूषण है।
Quote 45: शांतिपूर्ण देश में ही रहें।
Quote 46: जहां सज्जन रहते हों, वहीं बसें।
Quote 47: राजाज्ञा से सदैव डरते रहे।
Quote 48: राजा से बड़ा कोई देवता नहीं।
Quote 49: राज अग्नि दूर तक जला देती है।
Quote 50: राजा के पास खाली हाथ कभी नहीं जाना चाहिए।
Quote 51: गुरु और देवता के पास भी खाली नहीं जाना चाहिए।
Quote 52: राजपरिवार से द्वेष अथवा भेदभाव नहीं रखना चाहिए।
Quote 53: राजकुल में सदैव आते-जाते रहना चाहिए।
Quote 54: राजपुरुषों से संबंध बनाए रखें।
Quote 55: राजदासी से कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
Quote 56: राजधन की ओर आँख उठाकर भी नहीं देखना चाहिए।
Quote 57: पुत्र के गुणवान होने से परिवार स्वर्ग बन जाता है।
Quote 58: ग्राम के लिए कुटुम्ब (परिवार) को त्याग देना चाहिए।
Quote 59: पुत्र प्राप्ति सर्वश्रेष्ठ लाभ है।
Quote 60: प्रायः पुत्र पिता का ही अनुगमन करता है।
Quote 61: गुणी पुत्र माता-पिता की दुर्गति नहीं होने देता।
Quote 62: पुत्र से ही कुल को यश मिलता है।
Quote 63: जिससे कुल का गौरव बढे वही पुरुष है।
Quote 64: स्त्री बिना लोहे की बड़ी है।
Quote 65: सौंदर्य अलंकारों अर्थात आभूषणों से छिप जाता है।
Quote 66: गुरुजनों की माता का स्थान सर्वोच्च होता है।
Quote 67: प्रत्येक अवस्था में सर्वप्रथम माता का भरण-पोषण करना चाहिए।
Quote 68: स्त्री का आभूषण लज्जा है।
Quote 69: ब्राह्मणों का आभूषण वेद है।
Quote 70: विष में यदि अमृत हो तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए।
Quote 71: विशेष स्थिति में ही पुरुष सम्मान पाता है।
Quote 72: सदैव आर्यों (श्रेष्ठ जन) के समान ही आचरण करना चाहिए।
Quote 73: सेवक को स्वामी के अनुकूल कार्य करने चाहिए।
Quote 74: पति के वश में रहने वाली पत्नी ही व्यवहार के अनुकूल होती है।
Quote 75: शिष्य को गुरु के वश में होकर कार्य करना चाहिए।
Quote 76: पुत्र को पिता के अनुकूल आचरण करना चाहिए।
Quote 77: अत्यधिक आदर-सत्कार से शंका उत्पन्न हो जाती है।
Quote 78: स्वामी के क्रोधित होने पर स्वामी के अनुरूप ही काम करें।
Quote 79: माता द्वारा प्रताड़ित बालक माता के पास जाकर ही रोता है।
Quote 80: स्नेह करने वालों का रोष अल्प समय के लिए होता है।
Quote 81: मुर्ख व्यक्ति को अपने दोष दिखाई नहीं देते, उसे दूसरे के दोष ही दिखाई देते हैं।
Quote 82: स्वार्थ पूर्ति हेतु दी जाने वाली भेंट ही उनकी सेवा है।
Quote 83: बहुत दिनों से परिचित व्यक्ति की अत्यधिक सेवा शंका उत्पन्न करती है।
Quote 84: अति आसक्ति दोष उत्पन्न करती है।
Quote 85: धर्म का आधार ही सत्य और दान है।
Quote 86: धर्म के द्वारा ही लोक विजय होती है।
Quote 87: मुर्ख का कोई मित्र नहीं है।
Quote 88: धर्म के समान कोई मित्र नहीं है।
Quote 89: धर्म ही लोक को धारण करता है।
Quote 90: प्रेत भी धर्म-अधर्म का पालन करते है।
Quote 91: दया धरम की जन्मभूमि है।
Quote 92: उपार्जित धन का त्याग ही उसकी रक्षा है। अर्थात उपार्जित धन को लोक हित के कार्यों में खर्च करके सुरक्षित कर लेना चाहिए।
Quote 93: चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें।
Quote 94: राजा के सेवकों का कठोर होना अधर्म माना जाता है।
Quote 95: दूसरों की रहस्यमयी बातों को नहीं सुनना चाहिए।
Quote 96: स्वजनों की सीमा का अतिक्रमण न करें।
Quote 97: पराया व्यक्ति यदि हितैषी हो तो वह भाई है।
Quote 98: उदासीन होकर शत्रु की उपेक्षा न करें।
Quote 99: अल्प व्यसन भी दुःख देने वाला होता है।
Quote 100: स्वयं को अमर मानकर धन का संग्रह करें।
Quote 101: व्यसनी व्यक्ति लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही रुक जाता है।
Quote 102: असंशय की स्तिथि में विनाश से अच्छा तो संशय की स्तिथि में हुआ विनाश होता है।
Quote 103: दूसरे के धन पर भेदभाव रखना स्वार्थ है।
Quote 104: न्याय विपरीत पाया धन, धन नहीं है।
Quote 105: दान ही धर्म है।
Quote 106: अज्ञानी लोगों द्वारा प्रचारित बातों पर चलने से जीवन व्यर्थ हो जाता है।
Quote 107: न्याय ही धन है।
Quote 108: जो धर्म और अर्थ की वृद्धि नहीं करता वह कामी है।
Quote 109: अपने धर्म के लिए ही कोई सत्पुरुष कहलाता है।
Quote 110: सौभाग्य ही स्त्री का आभूषण है।
Quote 111: शत्रु की जीविका भी नष्ट नहीं करनी चाहिए।
Quote 112: बहुत पुराना नीम का पेड़ होने पर भी उससे सरौता नहीं बन सकता।
Quote 113: एरण्ड वृक्ष का सहारा लेकर हाथी को अप्रसन्न न करें।
Quote 114: शुद्ध किया हुआ नीम भी आम नहीं बन सकता।
Quote 115: जो सुख मिला है, उसे न छोड़े।
Quote 116: मनुष्य स्वयं ही दुःखों को बुलाता है।
Quote 117: लोक व्यवहार शास्त्रों के अनुकूल होना चाहिए।
Quote 118: विनाशकाल आने पर आदमी अनीति करने लगता है।
Quote 119: दान जैसा कोई वशीकरण मन्त्र नहीं है।
Quote 120: पराई वस्तु को पाने की लालसा नहीं रखनी चाहिए।
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